दीपक पुड़ो संपादक छत्तीसगढ़ समाचार TV- भारतीय जनसंघ के संस्थापक एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रणेता स्व.डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती के अवसर भाजपा कार्यालय कमल सदन में जन्म जयंती मनाई गई। इस अवसर पर पार्टी,पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधि एवं कार्यकर्ताओं द्वारा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित तथा पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजली अर्पित की गई l
उक्त अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के ज़िला अध्यक्ष महेश जैन ने डॉ.मुखर्जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजनीतिक जीवन में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ. मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया तथा सरकार में वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए।
मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष भरत मटियारा जी ने कहा मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे, उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ.मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा।
NGO प्रकोष्ठ के सह संयोजक वीरेंद्र श्रीवास्तव जी ने कहा डॉ. मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन सम्बन्धी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी,वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं,हममें कोई अन्तर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं, एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया l
जिला महामंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया।
पुर्व विधायक सुमित्रा मारकोले ने कहा
राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ।
भारतीय जनता पार्टी के ज़िला उपाध्यक्ष राजीव लोचन सिंह ने कहा कि मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी,साम्प्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया।
उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भारतीय जनता पार्टी के ज़िला अध्यक्ष महेश जैन,नगर पालिका अध्यक्ष अरुण कौशिक,पुर्व विधायक सुमित्रा मारकोले,पुर्व विधायक शिशुपाल शोरी,मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष भरत मटियारा,ज़िला भाजपा महामंत्री दिलीप जायसवाल, राजा देवनानी,भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष दिनेश रजक, जिला मंत्री एवं देवेन्द्र सिंह भाऊ, हलधर साहु, टेश्वर जैन,युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष घनेन्द्र सिंह ठाकुर,बृजमोहन तिवारी,शहर मंडल महामंत्री जयंत अटभैया, उपध्यक्ष तनुज ठाकुर, रमशिला साहु, अनूप शर्मा, सपन श्रीवास्तव,मंडल खेमनारायण शर्मा,अरविन्द जैन, दीपक खटवानी, श्रीमती मीरा सलाम,मंजू सारथी ,चित्ररेखा जैन,नरेंद्र साहु, हितेंद्र खटावानी,विकास अंभोरे ,पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के ज़िला अध्यक्ष संजय सिन्हा,आसिफ सेखानी,पुर्व पार्षद शैलेन्द्र शोरी, विजय लखवानी,प्रवेश चैहान अनिता सोनी,अंजू नेगी,मीना साहू,प्यारी साहु,जयप्रकाश गेडाम,सरस्वती निषाद,धनेश यादव,सुनीत ठाकुर के अलावा बड़ी संख्या में भाजपा के पदाधिकारी एवं कार्यकर्तागण उपस्थित थे l